Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
जवाँ सी जवाँ है
हवा आजकल कुछ जवाँ सी जवाँ है, दिले धड़कनें भी जवाँ सी जवाँ है। उदासी नहीं रख कहीं मन लगा ले, अभी तो जवानी जवाँ…
मेरी आत्मजा (जन्मदिन की हार्दिक बधाई)
कयी जिम्मेदारी है “ऐ आत्मजा” तुम पर हासिल करना है तुझे छिपा जो क्षितिज पर। लगन जगाना है कुछ ऐसा मशाल बन जाए वो वैसा…
सफलता
सफलता ———– बुझ रहे हो दीयें सारे, ओट कर.. जलाए रखना। जल विहीन भूमि से भी, तुम…. निकाल लोगे जल.. विश्वास को बनाए रखना। अंधकार…
शायरी संग्रह भाग 1
मुहब्बत हो गयी है गम से, खुशियाँ अच्छी नहीं लगती। पहले दुश्मन मुहब्बत करते थे, अब दोस्त नफरत करते हैं।।1।। विकास कुमार कमति.. बदलते…
वाह सर बहुत खूब
कवि सतीश जी का जीवन के प्रति बहुत ही सुन्दर सन्देश है कि सूर्य की प्रातः की किरणों की भांति जीवन में गर्मजोशी हो किंतु क्रोध का ताप ना हो ।ऐसा करने से हम अपनी मंज़िल तक पहुंचने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं ।बहुत सुंदर संदेश देती हुई ,बहुत सुंदर शिल्प के साथ बहुत ही सुन्दर रचना ।
सूर्य के समान आप भी
अपने शब्दों से-
देश समाज तथा अन्य क्षेत्रों में फैले अंधेरे को मिटा रहे हैं
बड़ी खूबसूरत रचना
अतिसुंदर
Beautiful
वाह वाह सर
Wow, very nice sir