विषय – भारतवर्ष की बेटी
” मन की पीड़ा को आपके सामने ला रही हु अपने वाणी को प्रस्तुत करने जा रही हु ”
मैं रूकती नहीं उन इरादों से,
जो कैद कर सके मेरे पाउ ।
मैं भारत वर्ष की बेटी हूं ,
मेरे मन में बसते आजादी के भाव।
अपनी मन की पीड़ा को रख रही हूं,
रख रही हूं अपने दिल की आशाओं को।
मन की बात मन से समझ समझीये,
ऐसे न तोरीयेगा जैसे प तोड़े शिसाओ को।
हर भारतीय
नारी क्या सोचती है उसके मन की वेदना को विचारों को आपने अपनी कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर दिया है बहुत खूब
Korsis kiye h apne dar ko panne pe utarne ka…..
सुंदर भाव,
परंतु वर्तनी में शुद्धता की आवश्यकता है।।
Ji poem adha hi publish hua….. H
बहुत खूब
जी शुक्रिया…
आपकी कविता तारीफ़ ए क़ाबिल है। कहीं कहीं भाव दिल को छू लिया।
Ji korsis kiye h….
प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता है प्रिया जी।
नारी के प्रति सुंदर शब्दों में लिखी गई रचना बहुत ही सुन्दर है।
Korsis kiye the apke sabdo me korsis ka result dila diya…. बहुत बहुत आभार
अपने डर को अपनी ताकत बनाईये,
आप सावन पर हैं प्रिया जी,
थोड़ा तो मुस्कराईये।
नारी हैं यह सोच कर मत घबराइए
लोग आपको सलाम ठोकें
ऐसी पहचान बनाईए ।।
Next poem issi se related hoga korsis krege… Thanks suport k liye..
Welcome
बहुत सुंदर रचना
शुक्रिया