“भारतीय संस्कृति”
भारतीय संस्कृति,
अमिट
अडिग
अति सुन्दर
मनभावन,
स्वीकृत भावों की
भंगिमा है
जिसे अपनाया
सहेजा
संवारा और
ह्रदय तल से
स्वीकृत किया जाता है
जो सदा सबका
हित
लिये रहती है और
संस्कारों की धरोहर
हर मनुष्य को देती है
जिससे सुदृढ़ होता है,
मन
वचन
कर्म
व्यक्तित्व,
जो समयानुसार
परिवर्तित भी होती है
अपने अन्दर
सर्व धर्म समभाव
की भावना लिये रहती है।।
भारतीय संस्कृति में जो आत्मीयता है वह और कहां,
श्लाघनीय रचना
इतनी सुंदर समीक्षा के लिए धन्यवाद कहने हेतु मेरे पास शब्द नहीं है अमिता जी
भारतीय संस्कृति पर उत्कृष्ट रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद एकता
वाह बहुत खूब
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद शास्त्री जी
Thanks a lot