भोजपुरी गजल – पागल के बीमारी बा

भोजपुरी गजल- पागल के बीमारी बा |

केहु से प्यार ना मतलब क सब यारी बा |
रिश्ता नाता ला पता पईसा सभपर भारी बा |
भाई भाई से मीठ ना बोले मुंह फेर चलेले |
एक ही घर अलग चूल्हा अलग दुयारी बा |
इश्क विश्क सब फइसन चार गो फ्रेंड चाही |
हीर भईली बहिर रांझा पागल के बीमारी बा |
बेरोजगारी खातिर निकले बहाली राजनित मे |
अनपढ़ गवार जीत जाला चढ़े के सफारी बा |
प्यार मे बनेके बा पागल त बन जा मर्जी |
उनका दुसर मुल्ला खोजे के अब तैयारी बा |
आइल बा कोरोना बची के रहे के दूर दूर |
चुनाव से डेराला उ भाषण सुने मारामारी बा |
वेकसिन लगावा बाकी फोटो चाही पेपर मे |
केहु के जान जाता केहु के दूकानदारी बा |
जबसे फइलल कोरोना केहु रोजी रोटी गईल |
प्राइवेट नौकरी के पूछे छुटल सब सरकारी बा |

श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक / गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब -995550986

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Responses

  1. भोजपुरी गजल- पागल के बीमारी बा |

    केहु से प्यार ना मतलब क सब यारी बा |
    रिश्ता नाता ला पता पईसा सभपर भारी बा |
    भाई भाई से मीठ ना बोले मुंह फेर चलेले |

    सही कहा सब मतलबपरस्त लोग है
    आपकी सुंदर व मौलिक रचना

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