भोर

भोर होती है
हर रोज
बहुल के लिए
आशा की
एक किरण लेकर
नऐ विचार
नई ख्वाहिशें
नई चाह
नई भूख
जो होती है
पद-प्रतिष्ठा
धन- दौलत
वस्तुओं
संबंधों
को समेटने की…

बहुल के होती है भोर
बस वही प्राचीन
एक चिर-परिचित
भूख लिए
रोटी की…..

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Responses

  1. भोर होती है हर रोज
    बहुल के लिए ,आशा की
    एक किरण लेकर….
    ________ प्रत्येक भोर आशा की किरण लेकर आती है,इसी सुंदर सत्य को परिलक्षित करती हुई कवियित्री अनु सिंगला जी की एक बेहतरीन रचना

  2. भोर होती है
    हर रोज
    बहुल के लिए
    आशा की
    एक किरण लेकर
    नऐ विचार
    नई ख्वाहिशें
    नई चाह….
    वाह अनु,
    सुबह का सुंदर वर्णन तथा आधुनिक विधा में सिमटी कविता है आपकी…

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