*मंज़िल की ओर*
जब कदम उठे मंज़िल की ओर,
महकने लगी दिशाएं चहुं ओर
आशीष मिले हैं अपनों से,
कानों में गूंजा विजय श्री का शोर
वर्षों की मेहनत रंग लाई,
उल्लास के क्षण संग लाई
अब ना रुकना राही,
होने वाली है मन चाही
प्रभु का भी तेरे सिर हाथ है,
फ़िर डरने वाली क्या बात है
_______✍️गीता
वर्षो की कठिन मेहनत के बाद मिलने वाले फल के उत्साह में डूबी खूबसूरत अभिव्यक्ति
बहुत-बहुत आभार सर
बहुत खूब inspirational
बहुत-बहुत आभार सर
“जब ईश्वर का साथ हो तो वास्तव में डरने की क्या बात है ” आपने बहुत ही अच्छा और शानदार लिखा है
समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद संदीप जी
बहुत ही खूब और सत्य से सराबोर रचना
समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा जी
अतिसुंदर भाव
समीक्षा हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी🙏
मेहनत का फल मिलने की खुशी दर्शाती हुई बहुत सुंदर और प्रेरक कविता