मजदूर

हमारा कसूर क्या था
आखिर क्यों मजदुर हुए हम
दर दर भटकने पर
मजबूर हुए हम

इस महामारी से तकरार है
रोजी रोटी की दरकार है
अपनों से मिलने के लिए
बेक़रार हुए हम

मरने का खौफ नहीं
अपनों के साथ जीने मरने की खायी है कसम
इस कसम को निभाने के लिए
नाराज रास्तो पे चल पड़े हम

जिन्दा रहे तो कीड़ों-मकोड़ों
से रेंगते नजर आयेंगे ।
मर गए तो ये सवाल,
तुझसे पूछे जायेंगे ।

मेरा कसूर बता,
क्यों मजदूर हुए हम ।

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