मजदूर

वो आसां ज़िंदगी से जाके इतनी दूर बनता है,
कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है ।
वो जब हालात के पाटों में पिसकर चूर बनता है,
कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है..

कसक ये बेबसी की ज़ख्मी पैरों में दिखाई दी,
कभी लथपथ लहू से बिखरे कपड़ों में सुनाई दी..
जहाँ पर वेदना-संवेदना के तार बेसुध थे,
वहाँ पटरी पे बिखरी रोटियों ने भी गवाही दी ।
कहीं जब बेबसी का ज़ख्म भी नासूर बनता है
कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है..

वो जिसकी ज़िन्दगी हर रोज़ मिलती कामगारी हो,
वो तपती धूप से जिसके सफर की साझेदारी हो..
सफर भर पोछकर बच्चों के आँसू भी चला हरदम,
वो भूखे पेट होकर जिसने हिम्मत भी न हारी हो
पसीना जिस्म पर जब मेहनतों का नूर बनता है,
कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है..

#लॉकडाउन और मजदूर

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

ज़िन्दगी……|

है ज़िन्दगी कहीं हर्ष,कहीं संघर्ष कभी दुःखों की अवनति,कभी खुशियों का उत्कर्ष ऐश्वर्य है ज़िन्दगी,कहीं है ज़िन्दगी परिश्रम ज़िन्दगी का अर्थ लगाना ही–है मन का…

Responses

New Report

Close