Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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बहुत खूब
विचारणीय विषय
सादर आभार
आखिर कौन है जो ये दस्तूर बनाया।
पत्नी बनकर रहे घर में मजबूर बनाया।।
मैं बापू के घर में रहूँगी भाई जाएगा ससुराल।
ऐसे दुनिया कब बदलेगी सदा रहेगा वही हाल।।
बहुत बहुत धन्यवाद सर
बहुत सुंदर रचना