मन को छोटा न कर

मन को छोटा न कर
दुःख दर्द तो मेहमान हैं,
आते हैं जाते हैं
ये गम स्थाई नहीं हैं
ये मेहमान हैं।।
न घबरा दुःखों से
ये तेरी परीक्षाएं हैं,
ये तो तेरे कार्य की
समीक्षाएँ हैं।

Related Articles

कोरोनवायरस -२०१९” -२

कोरोनवायरस -२०१९” -२ —————————- कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है| इसके इलाज की खोज में अभी संपूर्ण देश के वैज्ञानिक खोज में लगे हैं | बीमारी…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. आदरणीय ‘विनय चंद,’ शास्त्री जी द्वारा प्रस्तुत मार्मिक कविताओं को पढ़कर जो मन में भाव प्रकट हुए उससे ये बोल उपजे हैं, ये पंक्तियां आदरणीय शास्त्री जी के उत्साहवर्धन हेतु सृजित हैं, आप लोगों को पसंद आई हार्दिक धन्यवाद।

+

New Report

Close