मन मेरा गुनगुनाया
गीत भँवरे ने गाया
मैं वहां चुप खड़ा था
उसकी लय में बहक कर
मन मेरा गुनगुनाया।
सुगंधित सी हवा
फूल ने जब बिखेरी,
नासिका में समाई
मन मेरा मुस्कुराया।
देख तिरछी नजर से
त्वरित दी प्रतिक्रिया
कुछ नहीं कह सका तब
मन मेरा गुदगुदाया।
पड़े असहाय की जब
मदद वो कर रहे थे,
नैन से देखकर यह
तन-बदन खिलखिलाया।
निरी इंसानियत को
देख कर आज जिन्दा
खुशी से भर गया मैं
तन-बदन खिलखिलाया।
very nice sir
बहुत खूब सर
बहुत अच्छे शब्द
अतिसुंदर
सुंदर रचना