Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सको तो चलो………..
हमारे साथ कदम से कदम मिला चल सको तो चलो के इस इश्क़ में कुछ देर ठहर सको तो चलो बहुत ही हौसला चाहिए, इस…
35 Minute
हमारे घर से ऑफिस (Office) का रास्ता कुछ 35 मिनट का है 3 सिगनल (Signal) और 64 km का यह रास्ता वही है जो GPS…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
भेजे हुए सिंगनल
महसूस कर लेना।
मन न भी भेज सको तो
कुछ तो करना
प्रत्युत्तर की तरंगें
भेज देना।
टैलीपैथी को मानती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ, अति उत्तम अभिव्यक्ति
आपकी समीक्षात्मक टिप्पणी को सादर धन्यवाद। अपने जीवन में आई अत्यंत कठिन घड़ी को आपने झेला है। बिटिया चली गई, कोरोना ने आपको झकझोर दिया। अब ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आप धीरे धीरे अपने आपको संभालें। आपकी टिप्पणी अमूल्य है। और आपकी टिप्पणी से मन बहुत खुश हुआ। अभिवादन
🙏🙏
सुंदर भाव
सादर धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर भाव है
बहुत बहुत धन्यवाद