महामना मालवीय
हिम किरीटनी, हिम तरंगनी,
युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता
है ऋणि हम,करते है अर्पित श्रद्धा-सुमन,
साहित्यअकादमी से विभूषित,शोभित पद्यभूषण
तेरा यश है फ़ैला, क्या भू-तल क्या गगन।।
परतंत्रता के दर्द को दिखाती
रची तूने जो कैदी-कोकिला
शान्त दिखती, सहजता को पिङोती
तेरी रचित गूढ़ भावो की शब्द-सरिता
युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता——
राष्ट्रीयता से भिगोती
बलिदान की भावना को कर समाहित
देश की स्वतंत्रता की ललक
मन में जगाती भारतीय आत्मा
युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता—-
कर्मवीर, प्रताप को दिया नव तरंग
कभी प्रभा का किया इन्होंने संपादन
देश भक्त कवि ही नहीं,थे पत्रकार प्रखर
धन्य वसुंधरा वहां, जहां चतुर्वेदी ने ली जन्म
युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता—-
बाबयी ग्राम, मध्य प्रदेश है इनकी जन्म भूमि
युगद्रष्टा, सच्चे राष्ट्रकवि के निश्चल समर्पण की
अनन्य देश-प्रेम के बीज निर्जन हृदय में कर समाहित,
“पुष्प की अभिलाषा” सी ललक जन-मानस में जगाने की—
युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता–
किसी कारण वश ४ अप्रैल को, मदनमोहन मालवीय जी की जयंती पर मैं इसे प्रकाशित नहीं कर पाई थी।
सबों को सादर अभिवादन।
विद्वत व महान मनीषियों के जीवन, जयंती आदि महत्वपूर्ण तिथियों पर आपकी लेखनी बहुत सुन्दर प्रकाश डालती है। काफी लंबे समय बाद आपकी कविताएं पढ़ने को मिलीं, बहुत अच्छा लगा। कविता में बहुत सुन्दर चित्रण है।
श्री मदन मोहन मालवीय जी की जयंती पर आपकी बहुत सुंदर रचना पढ़ने को मिली है, राष्ट्रकवि श्री मदन मोहन मालवीय जी को सादर नमन्
मदन मोहन मालवीय जी के जयंती पर बहुत ही सुंदर रचना लिखी है आपने सुमन जी