माँ के लाल
भगत सिंह, शिव राज गुरु, सुखदेव सभी बलिदान हुए,
इस धरती माँ की खातिर कितने ही अमर नाम हुए,
ब्रिटिश राज की साख मिटाने को एक जुट मिटटी के लाल हुए,
कभी सीने पर गोली खाकर कभी फांसी पर लटक काल के गाल हुए,
इंकलाब के नारों से भगवा रंग मिलकर लाल हुए,
तिरंगे को लहराने की चाहत में शहीद माँ के लाल हुए॥
राही (अंजाना)
nice
धन्यवाद जी
धन्यवाद जी क्रप्या अपने दोस्तों से भी मेरी पोस्ट लाइक करने को कहें। धन्यवाद
क्रप्या कविता को शेयर व लाइक कीजिये और अपने मित्रों से भी कहिये।। धन्यवाद आपका
Bhut khub
किन्तु देख आज की पीढ़ी को , वो अम्बर में भी बेहाल हुए
क्या इसीलिए फांसी लटके , सोच सोच शर्मशार हुए ||
NYC….
Hun waah
क्रप्या लाइक शेयर कीजिये।। धन्यवाद और अपने मित्रों से भी कहिये
Nice sir ji…jara ek bar mere bhi poem pe dhyan dijiyega
बिलकुल सर जी।। आप भी लाइक और शेयर करें हम भी करते हैं औरो से भी कहिये हम भी कहते हैं शेयर करें पोयम हमारी आपकी
Share ar like kaha se karen?Isme to koi option ni hai sir ji?
Jo bhi poem ka naam ho uspe click kriye or poem ke naam or poem ke beech me top par aapko share or like ke button milenge uspe click kro
Nice
Good
सुन्दर रचना
वाह वाह
बेहतरीन प्रस्तुति