माखनचोर ।
तू है माखनचोर।
कान्हा तुम आ जाते छुपके
खा जाते हो माखन चुपके,
तड़के आँगन सखियाँ करतीं शोर
तू है माखनचोर।
दही मगन खा मटकी तोड़ी
करते नहीं शरारत थोड़ी,
गाँव में अब चर्चा है हर ओर
तू है माखनचोर।
माखन नहीं अकेले खाते
बाल सखा सब लेकर आते,
शाम कभी तो आ जाते हो भोर
तू है माखनचोर।
माँ, माखन से मैं अनजाना
व्यर्थ गोपियाँ मारें ताना,
उनका तो बस मुझपर चलता जोर
मैं नहीं माखनचोर।
अनिल मिश्र प्रहरी।
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मोहन सिंह मानुष - August 8, 2020, 5:22 pm
बहुत सुंदर
Anil Mishra Prahari - August 10, 2020, 12:55 pm
धन्यवाद।
Geeta kumari - August 8, 2020, 5:47 pm
वाह, बहुत सुंदर
Anil Mishra Prahari - August 10, 2020, 12:56 pm
धन्यवाद।
Rishi Kumar - August 8, 2020, 6:51 pm
🙏🙏🙏🙏
Anil Mishra Prahari - August 10, 2020, 12:56 pm
धन्यवाद।
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - August 8, 2020, 8:51 pm
बेहतरीन
Anil Mishra Prahari - August 10, 2020, 12:58 pm
धन्यवाद जी।
Satish Pandey - August 10, 2020, 11:48 am
अतिसुन्दर
Anil Mishra Prahari - August 10, 2020, 12:58 pm
धन्यवाद।