माखन नहीं चुरायों है!
भ्रम हुआ है तुमको, मैया !
भोला तेरा कृष्ण कन्हैया,
माखन नहीं चुरायों है।
लांछन लगाएं ब्रजबाला,
ग्वालिन बड़ी ही सयानी चपला,
मुझको बहुत नचायों हैं,
ना नाचूं तो चोर बताएं!
और मुख पर माखन बहुत लगाए।
अगर नाचू तो; खुद ही खिलाएं !
मगर कमरिया नाजुक-सी मोरी ,
किस-किस का दिल बहलाए रे !
बहुत सताती हाए!वो मैया!
भोला तेरा कृष्ण कन्हैया
माखन नहीं चुरायों हैं।
मैया तू मुझसे क्यो रूठी,
बात बताओ! सच्ची है या झूठी?
मैं नहीं क्या तुम्हारा लल्ला?
दाऊ भैया ! बहुत चिढ़ाए,
बाजार से खरीद तुम लाएं,
आंसू बहाकर मोहन बोलें!
मेरी मां से मिलाओं ,मैया!
भोला तेरा कृष्ण कन्हैया,
माखन नहीं चुरायों हैं।
जज़्बाती हो ;यशोदा घबराई!
कान छोड़ , ममता दिखलाई।
झूठ कहता है ,तेरा भैया!
मैं ही तो हूं तेरी मैया,
तू है मेरा प्यारा कन्हैया।
गले लगाकर आंखें पूछीं,
नटखटता , इक पल में भुली।
कान्हा पहले आंचल में छुपे,
मन्द -मन्द वो फिर मुस्कुराएं,
झूठ-सांच का घोल पीला कर
मैया जी को लिया मनाएं।
भोला तेरा कृष्ण कन्हैया
माखन नहीं चुरायों हैं।
———मोहन सिंह मानुष
अतिसुंदर चित्रण
जय कन्हैया लाल की
बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी
जय कन्हैया लाल की
अद्भुत ।
अद्भुत ।
बेहतरीन रचना ।
बहुत बहुत आभार मैडमजी 🙏
🙏🙏
सुंदर रचना
बहुत बहुत आभार, धन्यवाद 🙏
बहुत खूब, बहुत खूब
हार्दिक धन्यवाद 🙏 सर
बहुत ही सुंदर रचना