माटी की मूरत
माटी की मूरत होते हैं बच्चे
जैसा बनाओगे वैसे बन जाएंगे
चाहो तो उनको गांधी बना दो
जो सत्य की राह का पथिक बनेगा
चाहो तो उसको भगत सिंह बुलाओ
वो देश की खातिर मर मर मिटेगा
चाहो तो उसको ध्रुव नाम दो
चमकेगा आसमां में सितारा बनके
नेहरू बनेगा तिलक भी बनेगा
देश की तन मन से सेवा करेगा
झांसी की रानी भी उनको बनाओ
वह मैदान से पीछे कभी ना हटेगी
संस्कारों भरा अगर होगा बचपन
जवानी की दहलीज पर न बहकेंगे कदम
मां-बाप को सम्मान तब ही मिलेगा
अगर वह सम्मान देते रहे हैं
जैसा जो बोता है वैसा ही काटेगा
बच्चे तो हैं एक कला का रुप
मां बाप उसके कलाकार हैं।
वीरेंद्र सेन प्रयागराज
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - December 21, 2020, 8:01 am
अतिसुंदर भाव
Virendra sen - December 21, 2020, 2:30 pm
धन्यवाद
Geeta kumari - December 21, 2020, 12:02 pm
बच्चों को जैसे संस्कार देंगे वह वैसे ही बनेंगे इसी भाव को दर्शाती हुई बहुत सुंदर रचना
Virendra sen - December 21, 2020, 2:30 pm
आभार
Virendra sen - December 21, 2020, 2:45 pm
आभार आपका
Pragya Shukla - December 21, 2020, 7:12 pm
सही कहा बच्चों का मन तो कोरा कागज ही होता है
बहुत सुंदर विचार
Virendra sen - December 21, 2020, 8:54 pm
बहुत-बहुत धन्यवाद
Virendra sen - December 21, 2020, 8:58 pm
आभार