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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
“शब्दों के सद्भाव”
” माँ ” ——- शब्दों के सद्भाव ^^^^^^^^^^^^^^^^^^ मानवता भी धर्म है जैसे इन्सानियत मज़हबी नाम, शब्दों के सद्भाव भुलाकर जीवन बना लिया संग्राम |…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
नियति का खेल
जब हम बुरे समय से गुजरते हैं अपने ईश्वर को याद करते हैं सब जल्दी ठीक हो जाये यही फरियाद करते हैं भूल कर उस…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
मानव तन अनमोल है वह कब की लेखनी से निकली एक बहुत ही सुंदर रचना
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
Very nice