*मिलन*
*****कल रात*****
शनि का बृहस्पति से हुआ मिलन,
चार सौ वर्षों के बाद,
दो दोस्तों की दूरी मिटी,
दोनों ने किया आलिंगन
चार सौ वर्षों के बाद
ख़ुश हो रहे हैं तारे सभी,
ख़ुश हो रहा है गगन
चार सौ वर्षों के बाद
मन में प्रेम हो तो होता है मिलन,
फ़िर मिलन हो भले ही,
चार सौ वर्षों के बाद
अर्धचंद्र चमक रहे हैं,
नभ की छटा निराली है
अद्भुत दिख रहा है गगन,
चार सौ वर्षों के बाद
1623 में मिले थे,
मिल रहे हैं अभी
फ़िर मिलेंगे कह कर गए हैं,
ना जाने मिलेंगे अब कभी
शनि-बृहस्पति की इतनी करीबी,
है शुभ समाज के लिए
शुभ घड़ी देखो चली आई,
चार सौ वर्षों के बाद
दोनों ग्रहों को साथ-साथ है नमन,
चार सौ वर्षों के बाद
_____✍️गीता
Bahut khoob
Thank you Pragya
“मन में प्रेम हो तो होता है मिलन,फ़िर मिलन हो भले ही,
चार सौ वर्षों के बाद”
वाह गीता जी दो ग्रहों का इतना सुंदर मानवीकरण किया है आपने ।
एक खगोलीय घटना का इतना अनूठा चित्रण, लाजवाब
धन्यवाद सीमा जी
दो ग्रहों के मिलन का सुंदर चित्रण
समीक्षा हेतु बहुत आभार सर
शानदार
धन्यवाद संदीप जी
अतिसुंदर
बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी🙏