मेरी उल्फत़ को अभी कोई नाम न दो!
मेरी जिन्द़गी को कोई इल्जाम न दो!
बहके हुये इशारों से तड़पाओ न मुझे,
सुलगे हुये इरादों की कोई शाम न दो!
Composed By #महादेव
मेरी उल्फत़ को अभी कोई नाम न दो!
मेरी जिन्द़गी को कोई इल्जाम न दो!
बहके हुये इशारों से तड़पाओ न मुझे,
सुलगे हुये इरादों की कोई शाम न दो!
Composed By #महादेव