मुक्तक

शामे-आलम में तेरी प्यास चली आती है!
लहर ख्वाहिशों की मेरे पास चली आती है!
दर्द की दीवारों से टकराती है जिन्द़गी,
ख्वाबों की तस्वीर बदहवास चली आती है!

मुक्तककार-#महादेव’

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होते ही शाम तेरी प्यास चली आती है! मेरे ख्यालों में बदहवास चली आती है! उस वक्त टकराता हूँ गम की दीवारों से, जब भी…

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