Categories: हिन्दी-उर्दू कविता

Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मेरे मित्र
एक खुशबु सी बिखर जाती है मेरे इर्द गिर्द जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र जब भी मन विचलित होता है किसी अप्रिय घटना…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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तेरे हर-एक लफ्ज़ के मुताबिक़ हमको इक रोज बिछड़ना हैं,, तेरा हाल तो तू ही जाने, हमे तो उठ-उठकर रोज मरना हैं,, मगर तेरी अनचाही…
खता
लम्हों ने खता की है सजा हमको मिल रही है ये मौसम की बेरुखी है खिजां हमको मिल रही है सोचा था लौटकर फिर ना…
आपकी कविता पढकर
मन मेरा और निखर गया है!
Aur mera mann machal gya hai…..
धन्यवाद
Bahut KHoob Mahadev Ji
धन्यवाद
Great