मुक्तक

तुमसे मुलाकात कभी जो हो जाती है!
जैसे दिल में अंगड़ाई रो जाती है!
मयकदों में ढूंढता हूँ यादों के निशां,
मेरी नींद पैमानों में खो जाती है!

रचनाकार-#मिथिलेश_राय
(#मात्रा_भार_23)

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