Categories: शेर-ओ-शायरी
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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कुन्दन सा बदन को एैसा श्रृंगार कर । जो भाये पिया मन एैसा श्रृंगार कर । सरगम पे सुर नया कोई झंकार कर, जो गुंज…
नायाब प्रयास योगी जी
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
वाह
Nice