मुक्तक

मैं जागता क्यों रहता हूँ तन्हा रातों में?
नींद उड़ जाती है ख्वाहिशे-मुलाकातों में!
सीने में नजरबंद हैं वस्ल़ की यादें,
बेखुदी में रहता हूँ तेरे ख्यालातों में!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

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