मुक्तक

हर शख्स जमाने में बीमार जैसा है!
ख्वाहिशों का मंजर लाचार जैसा है!
सहमी हुई तकदीरें हैं इंसानों की,
आदमी सदियों से बाजार जैसा है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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