मुक्तक

होते ही सुबह तेरी तस्वीर से मिलता हूँ।
अपनी तमन्नाओं की ज़ागीर से मिलता हूँ।
नज़रों को घेर लेता है यादों का समन्दर-
चाहत की लिपटी हुई जंजीर से मिलता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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