होते ही शाम मेरी तबीयत मचल जाती है!
तेरी शमा चाहत की ख्याल में जल जाती है!
मेरे लफ्ज़ कांपते हैं तेरा नाम लेकर,
तेरी आरजू हर सकून को निगल जाती है!
Composed By #महादेव
होते ही शाम मेरी तबीयत मचल जाती है!
तेरी शमा चाहत की ख्याल में जल जाती है!
मेरे लफ्ज़ कांपते हैं तेरा नाम लेकर,
तेरी आरजू हर सकून को निगल जाती है!
Composed By #महादेव