Categories: मुक्तक
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मुक्तक
लकड़ी जली, कोयला हुई कोयला जले, राख रही अग्नि परीक्षा सीता की हुई राम जी की साख रही १७.०५.२०२०
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
राम, राम, राम तु रटते जा
राम, राम, राम तु रटते जा मन से मन की विकार तु हटाये जा राम से ही जन्मों का पाप धुलता राम से ही राम…
विजयादशमी हम मनाते है
विजयादशमी हम मनाते है पर अपने अंदर के रावण को कहाँ जलाते है ? कटाक्ष कर रही है भगवान श्री राम की सच्चाई और निष्ठा…
राम की सृष्टि, राम की माया
जय श्री राम ———————— राम की सृष्टि, राम की माया राम का है ये जग सारा जिसने जाना मेरा यहाँ कुछ नहीं वहीं है प्रभु…
बहुत सुंदर पंक्तियां
बहुत खूब
सुंदर
बहुत खूब
बहुत सुंदर पंक्तियां
कम शब्दों में बहुत गहरे भाव