मुक्तक

“अशिक्षा पर एक छोटा सा व्यंग मुक्तक ”
हिन्दी लिखते शर्म आती है अंग्रेजी में लोला राम
चुप है जब तक छुपा हुआ है खुला मुंह बकलोला राम
अकल बडी या भैस समझ पाया ना काला अक्षर क्या
तुतली भाषा जान गये सब बोल पडे बडबोला राम
अंधो में काना राजा बन चले पहन यह चोला राम
देख प्रतीत होता कि पडा है सीर मुडाते ओला राम !
शिक्षा का आडंबर रचकर करते फिरते बंडोला राम
अधजल गगरी हाल बना खाते फिरते हिचकोला राम
उपाध्याय…
nice one
Nice