Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सफलता
सफलता ———– बुझ रहे हो दीयें सारे, ओट कर.. जलाए रखना। जल विहीन भूमि से भी, तुम…. निकाल लोगे जल.. विश्वास को बनाए रखना। अंधकार…
सुनकर कांव कव्वे की
मुहल्ले में खड़े टावर में सुनकर कांव कव्वे की, सभी यह सोच कर खुश हैं अब मेहमान आयेगा। मगर वह पाहुना आयेगा किसके घर किसी…
दैव पर विश्वास रखना
मन कभी छोटा न करना दैव पर विश्वास रखना, गर कभी मुश्किल समय हो टूटना मत धैर्य रखना। जिन्दगी में मुश्किलें लाखों मिलेंगी आपको, मुश्किलों…
दुर्गा भाभी-01
उम्मीद की लौ जल-जल के बुझ रही थी नाउम्मीदी के तिमिर में, हर साँस जल रही थी परालम्बन भरे जीवन से मुक्ति हमें दिलाने वीर-…
bahut khoob
Wah