मुझे नही पता,
मुझे नही पता की फुल के तरह खिलुगाँ,
भवरे आयेगे नोच– नोच-खायेगे,
मेरी कोमल तन को पत्थर की चोट से घायाल करके मेरे बदन को नोच- खायेगें
मुझे नही पता भवरे नोच खायेगे,,
किसको गलत कहूँ,
ये परिन्दे मेरे शहर मे हर घर के छत पे नजरे तलाश करते,
लम्बी-लम्बी बात बोल-बोलकर मुझे पंछी की तरह जाल मे फसाकर ,
मुझे नोच खाते किसको कहूँ मेरे शहर के ही परिन्दे मुझे नोच खाते।।
सात- फेरे की कसम खाकर मुझे बुलाकर चार-पाँच परिन्दे मुझ पर बरस जाते,,
मेरी बदन को नोच-नोच खाते!!
जब भर जाता जिस्म !! तो गला घोटकर ,या चाकु से बार करते,,
क्या कहूँ मेरे शहर के ही परिन्दे मुझे नोच खाते,
सात -फेरा की कसम खाकर मुझे लोभ मे फसाकर मुझे नोच खाते !!
JP Singh
Mob no 9123155481
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राही अंजाना - July 27, 2018, 3:19 pm
वाह
ज्योति कुमार - July 27, 2018, 3:21 pm
अभार आपका
Neha - July 28, 2018, 10:50 am
Waah
ज्योति कुमार - July 29, 2018, 12:35 am
धन्यवाद
महेश गुप्ता जौनपुरी - September 9, 2019, 5:13 pm
वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति