Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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भटके हुए रंगों की होली
आज होली जल रही है मानवता के ढेर में। जनमानस भी भड़क रहा नासमझी के फेर में, हरे लाल पीले की अनजानी सी दौड़ है।…
हँसी के फूल खिला दे
होली में फूल खिला दे हँसी के, होली में फूल खिला दे। प्यारे-प्यारे रंग-बिरंगे फूल ही फूल खिला दे। हँसी के— ढंग-बेढंदी हुई जिंदगानी, होली…
मां तूं दुनिया मेरी
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बहुत बढ़िया रचना
खिला के भीतर के फूल मेरे
रंगों का उपवन सजा गया है।
वो कह रहा है कि होली आई
होली से पहले रंगा गया है।
________होली के पर्व से पूर्व होली के रंगों की वर्षा करती हुई कवि सतीश जी की अति सुन्दर कविता। सुन्दर शिल्प और लाजवाब अभिव्यक्ति
बहुत ही उत्तम रचना
बहुत खूब
होली से पहले होली की बहुत सुंदर कविता, सर
अतिसुंदर
तू रंग कैसा लगा गया है
मुझ में तो
मधुमास सा आ गया है।
ये पीले-पीले व लाल फूलों
से मेरा तन-मन सजा गया है।
खिला के भीतर के फूल मेरे
रंगों का उपवन सजा गया है।
वो कह रहा है कि होली आई
होली से पहले रंगा गया है।
बेहद शानदार प्रस्तुति