Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वाणी
मानव का गहना है वाणी, वाणी का भोगी है प्राणी । मधुर वचन है मीठी खीर, कटु वचन है चुभता तीर । सद वचन है…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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शत-शत नमन उस जन-नायक को लोकनायक से जाने जाते थे भारत-रत्न से सम्मानित, इंदिरा विरोधी कहलाते थे । आज जन्म दिवस है उनका हम नतमस्तक…
नियति का खेल
जब हम बुरे समय से गुजरते हैं अपने ईश्वर को याद करते हैं सब जल्दी ठीक हो जाये यही फरियाद करते हैं भूल कर उस…
बहुत बढ़िया वाह
बहुत सुंदर रचना
वाह
अति उत्तम रचना
मुस्कान आपकी
खिले फूल जैसी,
भुलाने सक्षम है
गम हमारे।
______कवि की कोमल भावनाओं की खूबसूरत प्रस्तुति, सुन्दर शिल्प और भाव लिए हुए बहुत सुंदर कविता
बहुत ख़ूब, अति उत्तम
JAY ram jee ki
Beautifully craft