मुहब्बत

मुहब्बत इस जिंदगी की
खूबसूरती है,
बिना मुहब्बत के
सब कुछ शून्य सा ही है।
मुहब्बत जीने का जरिया है
मुहब्बत निर्मल सी दरिया है
मुहब्बत जीवन भवन स्तम्भ की
मजबूत सरिया है।

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Responses

  1. वाह सर, जीने का जरिया, निर्मल सा दरिया…सुंदर शब्दों का चयन और लय बद्ध शैली आपके काव्य की विशेषता रही है । उपमा अलंकार से सुसज्जित बहुत ही सुन्दर कविता है सतीश जी ।कवि की लेखन शैली को अभिवादन ।

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