Categories: ग़ज़ल
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
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शायरी संग्रह भाग 1
मुहब्बत हो गयी है गम से, खुशियाँ अच्छी नहीं लगती। पहले दुश्मन मुहब्बत करते थे, अब दोस्त नफरत करते हैं।।1।। विकास कुमार कमति.. बदलते…
वक्त का वक्त क्या है पता कीजिए
गजल वक्त का वक्त क्या है पता कीजिए | बाखुदा हूं ‘ खुदा बाखुदा कीजिए | दर्दे – दिल आज मेरे मुखालिब रहे | सुखनवर…
वाह वाह, बहुत खूब
बहुत खूब कवित्त्व
बहुत सुंदर रचना,अति सुंदर भाव एवम् प्रस्तुति
बहुत खूब