Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
गाँव में
गाँव में खेत हरे और है खलिहान गाँव में कूप, नल और है मैदान गाँव में बाग बन और है किसान गाँव में है भारत…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
गाँव मेरा
इस लहलाती हरियाली से , सजा है ग़ाँव मेरा….. सोंधी सी खुशबू , बिखेरे हुऐ है ग़ाँव मेरा… !! जहाँ सूरज भी रोज , नदियों…
सुन्दर सुन्दर सपने अपने
कविता सुन्दर सुन्दर सपने अपने, सुन्दर अपना हिन्दुस्तान है। जहां बहती नदिया झरने, करती दुनिया गुणगान है। सुन्दर सुन्दर – – – – कर्म धर्म…
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