मेरी आँखों में
जाने कब से हैं मेरी आँखों में,
ये ख्वाब किसके हैं मेरी आँखों में।
मैं तो सूखा हुआ सा दरिया था,
ये मौज किसकी है मेरी बाहों में।।
मैं तो सोया था तन्हा रातों में,
ये पाँव किसके हैं मेरे हाथों में।
यूँ तो रहता था सूने आँगन में,
ये बोल किसके हैं मेरे आँगन में।।
सूखा बादल था मैं तो राहों का,
ये बून्द किसकी है मेरी राहों में,
चुप ही रहते थे शब्द नज़्मों में,
ये होंठ किसके हैं मेरी ग़ज़लों में॥
राही (अंजाना)
bahut ache sir
Thanks sir
Good
Awesome
बहुत ही लाजवाब