मेरी तुम
दुनिया के सब सितारे तुम्हेँ देख जगमगाते हैं,
दुनिया की सब नदियों में तुम्हारी आवाज़ बहती है
फूल कोई भी हों मुझे उनमें तुम्हारे देह की गंध आती है
यद्यपि मैं तुमसे कभी नहीं मिला.
बहुत पहले एक कविता में कहा था कि
जब तुम्हें मेरी याद आये तुम मेरे ख़त पढ़ना
मैं ख़त लिख रहा हूँ
मेरी याद आये तो इन्हें पढ़ना
मैं तुम्हें आस पास ही मिल जाऊंगा
इन शब्दों को छूना ये मेरी उंगलियां हैं
ये तुम्हें मुझ तक पहुँचा देंगी
-अभिषेक तिवारी
यह कविता बहुत सुंदर और आकर्षक है।
यह वर्णन करती है कि जब तुम्हें याद आती है, तो सभी प्रकार के प्राकृतिक और ख्यातिप्राप्त वस्तुएँ तुम्हें ताजगी देती हैं। आपके इस अनुभव का वर्णन भावपूर्ण है और शब्दों में जीवन भर रहने का एहसास देता है। आपकी यादों के बिना भी तुम्हारी उपस्थिति और संवाद की एक अद्वितीय रूपरेखा बनी हुई है।
यह शब्दों के माध्यम से दर्शाया गया है कि आपकी यादें और भावनाएं सदैव आपसे जुड़ी रहेंगी।
यह एक सरल कविता है जिसमे इंसान की सुंदरता को प्राकृतिक सौंदर्य के रूप में दर्शाया गया है। यह कविता एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका के लिए लिखी है जिसमे वह अपनी प्रेमिका को याद कर रहा है और उसकी तारीफ कर रहा है। वह अपनी प्रेमिका की सुंदरता का वर्णन प्राकृत सुंदरता से तुलना करके करता है। जहाँ एक तरफ नदी उसे उसकी आवाज़ की याद दिलाती है तो दूसरी ओर फूलों से उससे उसकी महक आती है। कवि अपनी यादें ताज़ा करता है और कहता है की यह खत तुम्हे मेरी मौजूदगी का एहसास करवाएँग। जभ भी तुम्हे मेरी याद आएगी, तुम यह खत पढ़ना और इनमे लिखे अक्षरों को छूना, तुम मुझे महसूस कर पाओगी।
यह कविता दर्शाती है की इंसान की मौजूदगी न होने से भी भावनाएँ बदलती नहीं है। यह हमेशा हमारे साथ हमारे मन मे रहती है। प्रकृति हमारी यादें ताज़ा कर देती है और हम वह लम्हें फिर से जी पाते है।