मेरी दुआ
तुम्हारे अधरों से छू कर,
मेरे गीतों का सम्मान हुआ
तुम पंख पसारे उड़ो नील गगन में,
दिल से निकली है यह दुआ
तुम्हें यह सारा जग जाने,
तुम्हारा सब लोहा मानें
जो तुम चाहो वो सब मिले,
रब चाहो तो रब मिले
सारी खुशियां हो तुम्हारे द्वार,
कर जाओ तुम ये बेड़ा पार
_____✍️गीता
अतिसुंदर भाव
सादर आभार भाई जी🙏
बहुत ही अच्छा
धन्यवाद संदीप जी
बहुत बहुत धन्यवाद इतनी प्यारी और सम्मानजनक कविता लिखने के लिए..
वाकई में आपकी लेखनी से प्रेम वर्षा हो रही है
कविता की इतनी सुन्दर और प्यारी समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा
ये केवल कविता ना होकर मेरे मन की सच्ची अभिव्यक्ति है
Very beautiful poem
Thank you Seema