मेरी भक्ति-भजन को यदि तुम पढ़ोगे

मेरी भक्ति-भजन को यदि तुम पढ़ोगे
तब जाके कहीं तुम मुझे समझोगे
मेरी भक्ति-भजन को यदि तुम पढ़ोगे
तब जाके कहीं तुम मुझे समझोगे
——————————————–
मेरी भक्ति-भजन को यदि तुम पढ़ोगे
तब जाके कहीं तुम मुझे समझोगे ।।1।।
—————————————————-
किसी को समझना अगर इतना आसान होता
तो लोग कबीर, तुलसी को पढ़के राम का भक्त होता
——————————————————————-
मेरी भक्ति भजन को यदि तुम पढ़ोगे
तब जाके कहीं तुम मुझे समझोगे ।।2।।
——————————————————–
ब्रह्मचर्य की महिमा को सिर्फ आत्मा ही बताती
जो लोग ब्रह्मचर्य पालने करते
उसे हर घड़ी ब्रह्म ही ब्रह्म दिखते
ब्रह्मचर्य की महिमा को सिर्फ आत्मा ही बताती
—————————————————–
मेरी भक्ति भजन को यदि तुम पढ़ोगे
तब जाके कहीं तुम मुझे समझोगे ।।3।।
कवि विकास कुमार

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

ब्रह्मचर्य

सर्वदा होश की अवस्था हैं ब्रह्मचर्य विषयों से अनासक्त का नाम हैं ब्रह्मचर्य पूर्व संस्कार का पूर्ण रुपेण त्याग हैं ब्रह्मचर्य ब्रह्मचर्य कुछ भी नहीं…

Responses

+

New Report

Close