” मेरे अल्फाज़ “
महफ़िल – ए – यारोँ में , थोड़ा अलग दिखा देते हैँ …..
मुझे , मेरे अल्फ़ाज ……
फितरत बता देते हैं , मेरी ….
मेरे अल्फ़ाज …..
मैं इंसान हूँ तो जायज़ हैं , नफ़रत मैं भी कर लूँ …..
लेकिन हर मरतबा मोहब्त जता देते हैं …….
मेरे अल्फ़ाज …..
पंकजोम ” प्रेम “
bahut khoob pankaj ji
Sukkriyaaa pnnaaa bhai….
kya khoob likha he…kya alfaaz he..nice
Bus dil ki baate kagaj pr uker dete h….n thanxx a lot ji….
nice…!
Nayab post…!
Dhnyawad anu ji….
bahut khoob..alfaaz
Sukkriyaa bhai…
बहुत खूब
वाह बहुत खूब