मेरे बापू के सपनों का भारत।
मेरे बापू के सपनों का भारत,
अब है न जाने गुम कहीं।
न एकता की भावना है,
न देश प्रेम की बात कहीं।
सत्ता की खातिर,
जनता को मूर्ख बनाया जाता है।
मेरे बापू के सपनों का भारत,
अब है न जाने गुम कहीं।
वह देश को बढ़ाकर,
विकसित राहों पर ले जाने वाले,
न जाने वो लोग हैं गुम कहीं।
बाबू तुम वापस आ जाओ,
कर दो भारत को फिर से पुरा।
हो भाईचारा लोगों में,
न हो दुश्मनी का दायरा।
बस प्रेम, शांति, सौहार्द बने।
मेरे बापू के सपनों का भारत
फिर से एक बार बनें।
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - October 2, 2020, 11:43 am
अतिसुंदर
मोहन सिंह मानुष - October 3, 2020, 11:33 am
बहुत सुंदर भाव
बहुत सुंदर पंक्तियां