मेरे मालिक मेरा दोष माफ करना
मेरे मालिक मेरा दोष माफ करना
हम है तेरी संतान, मुझसे प्यार करना ।
मेरे मालिक मेरा दोष माफ करना
हम है तेरी संतान, मुझसे प्यार करना ।।
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मेरे मालिक मेरा दोष माफ करना
हम है तेरी संतान, मुझसे प्यार करना ।।1।।
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तेरी माया है बड़ी मायावी,
फँसते है इसमें तीनों लोकों के प्राणी ।
तेरे नाम से सबका उद्धार होता,
तेरी कृपा जिसे मिले उसका भाग बदलता (भाग चमकताः) ।।
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मेरे मालिक मेरा दोष माफ करना
हम है तेरी संतान ,मुझसे प्यार करना ।।2।।
क्या माँगु मैं तुझसे, बिन माँगे देने वाला तु कहलाता ।
तेरी चौखट पर सबकी फरियाद सुनी जाती,
चाहे कामी हो या वो हो ध्यानी ।
तेरी कृपा सब पर अकारण बरसती ।।
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मेरे मालिक मेरा दोष माफ करना
हम है तेरी संतान ,मुझसे प्यार करना ।।3।।
कवि विकास कुमार
बहुत सुंदर कविता
Very nice
वाह