मैं चाहती हूं…

मैं चाहती हूं ख्वाबो की पौड़ियों पर चढ़ना,
मगर पीछे से जिम्मेवारियों की रस्सी खींच रही है

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. बहुत सुंदर पंक्तियां
    अक्सर ऐसा ही होता है जिम्मेदारी का बोझ जिंदगी भर अपने लिए कुछ नहीं करने देता

  2. जिम्मेदारियों के आगे ख़्वाहिशों की विशाद क्या
    कर्तव्यों की प्राथमिकता के आगे इन ख्वाबों की औकात क्या

  3. ज़िम्मेदारी के चलते ख़्वाब पूरे ना कर पाने के दर्द का सटीक चित्रण किया है प्रतिमा जी…वाह

  4. जीवन में जिसने धारा प्रवाह के रूख बदल दिया।
    उसे ही कामयाबी के घोड़े पर चढ़ने का मौका मिला।।

  5. जिम्मेदारियों से अब बदन टूटने सा लगा है,
    क्यूँ न ख्वाहिशों की अंगड़ाई ली जाए….

+

New Report

Close