Categories: Poetry on Picture Contest
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
” किस्सा–कुर्सी — का “
व्यंग्य गीत ———– अनुपम त्रिपाठी ” किस्सा–कुर्सी — का ” बचपन में किस्सों में कुर्सियों की बातें सुनते थे।आजकल कुर्सियों के किस्से आम हैं ।…
माखन नहीं चुरायों है!
भ्रम हुआ है तुमको, मैया ! भोला तेरा कृष्ण कन्हैया, माखन नहीं चुरायों है। लांछन लगाएं ब्रजबाला, ग्वालिन बड़ी ही सयानी चपला, मुझको बहुत नचायों…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
माखन खाते पकड़े गए कन्हाई
यशोदा पूछ रही कान्हा से, “लल्ला, मटकी से रोज़ – रोज़ माखन कौन चुराता है”। लाड लड़ा के बोले कान्हा, डाल के गलबैयां मां के,…
nice
धन्यवाद।
सुंदर
Thanks
अतिसुन्दर
Thank U sir
बभ
बढ़िया
धन्यवाद महोदय
बहुत ही अच्छी कविता
शुक्रिया सुमन जी।