मैं फिर भी तुमको चाहूंगी (साहित्य को समर्पित)
मिथ्याओं पर आधारित
है साहब ! सोंच तुम्हारी
अब तो सारी बातें हैं
लगती झूँठ तुम्हारी
मेरी अभिलाषा का
है तुमने जो उपहास किया
मेरी करुण व्यथा का
है तुमने जो अपमान किया
ना कभी माफ कर पाऊँगी
ना हिय से उसे भुलाऊंगी
ऐ साहित्य ! तुझे मेरा प्रणाम
मैं फिर भी तुमको चाहूंगी।।
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vivek singhal - April 5, 2021, 2:14 pm
मिथ्याओं पर आधारित
है साहब ! सोंच तुम्हारी
अब तो सारी बातें हैं
लगती झूँठ तुम्हारी
मेरी अभिलाषा का
है तुमने जो उपहास किया…
वाह! प्रज्ञा जी साहित्य को समर्पित अति सुंदर रचना….
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:55 pm
Tq
Geeta kumari - April 5, 2021, 8:49 pm
मेरी करुण व्यथा का
है तुमने जो अपमान किया
ना कभी माफ कर पाऊँगी
ना हिय से उसे भुलाऊंगी
__________ कभी प्रज्ञा जी की भावुक रचना, उत्तम अभिव्यक्ति
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:55 pm
धन्यवाद
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - April 6, 2021, 8:27 am
अतिसुंदर रचना
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:56 pm
धन्यवाद
Rj sid - April 6, 2021, 11:23 am
हरिगीतिका छंद से बद्ध अति सुंदर रचना
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:56 pm
धन्यवाद
neelam singh - April 6, 2021, 11:31 am
बहुत सुंदर भाव
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:56 pm
धन्यवाद
jeet rastogi - April 6, 2021, 9:09 pm
सगीतमय तथा लयबद्ध प्रस्तुति
Pragya Shukla - April 7, 2021, 10:56 pm
धन्यवाद
Ajay Shukla - April 9, 2021, 10:00 am
अति सुन्दर रचना
Pragya Shukla - April 11, 2021, 5:13 pm
धन्यवाद