Categories: छत्तीसगढ़ी कविता
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मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
भोजपुरी लोकगीत कजरी – रोपनिया ना |
भोजपुरी लोकगीत कजरी – रोपनिया ना | जबले मिलिहे ना झुलनिया | हम ना करबे रोपनिया ना | जबले बाजीना छम छम पयजनिया| हम ना…
तुम्हें क्या कहूँ
तुम्हें चांद कहूं, नहीं, तुम उससे भी हंसीन हो। तुम्हें फूल कहूं, नहीं, तुम उससे भी कमसीन हो। तुम्हें नूर कहूं, नहीं, तुम उससे ज्यादा…
माँ का दूध या सतनो का जोड़ा
************माँ का दूध या सतनो का जोड़ा ,किस नजर से देखे दुनिया सारी ********************** हमेशा देखा है राह चलते लोग रिश्तेदार यहां तक की अपने…
👏👏
👌👌
Nice
क्षेत्रीय भाषा का सुंदर प्रयोग करते हुए रचना