मोहलत
थोड़ी मोहलत मांगता हु रब
बस एक बार उनका दीदार हो जाए
फासले जो फैसलों की वजह से थे
बस उस पर सुलह हो जाए
यूँ रूठना भी कुछ होता है क्या
एक बार मुरना तोह बनता है ना यार
रो तू भी रही थी मैं भी
एक बार मिलाना तो बनता है ना यार
ए खुदा बोल तेरी रज़ा है क्या
इन दूरियों की वजह है क्या
मांग ता कुछ नहीं तुझसे
बस इस बेरुखी की खता है क्या
बहुत ही सुंदर
आभार आपका
**एक बार मिलाना तो बनता है ना यार** वाह वाह, बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
धन्यवाद
हूँ।
एक बार मुड़ना।
कवि ने प्रेम में हुए बिछोह की वेदना से व्यथित मनुष्य की भावना को उजागर किया है।
धन्यवाद भाई
आभार भाई 🙏🙏
अच्छा लिखा है आपने
अति सुन्दर
धन्यवाद
मन के विचारों को व्यक्त करती सुंदर रचना
धन्यवाद