मज़दूर हूँ
प्रस्तुत है
हाइकु विधा में कविता:-
मजदूर हूँ
पैदल चल पड़ा
घर की ओर
विपदा आयी
सबने छोड़ दिया
मौत की ओर
आशावादी हूँ
खुद ही जीत लूँगा
यह युद्ध भी
तुम कौन हो?
समाज या शासन
बोलो खुद ही
बन निष्ठुर
हमे ढ़केल दिया
काल की ओर…!!
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Abhishek kumar - June 1, 2020, 6:11 pm
Beautiful
प्रतिमा चौधरी - September 26, 2020, 3:39 pm
यथार्थपरक